'75 फीसदी भारतीयों को डर, अगर कौशल नहीं बढ़ाएंगे तो नौकरियां नहीं रहेगी'
Losing Jobs To Tech : एडटेक कंपनी एमेरिटस की 'एमेरिटस ग्लोबल वर्कप्लेस स्किल्स स्टडी' से यह बात सामने आई है कि टेक्नोलॉजी में आए बदलावों के कारण भारतीयों में कौशल बढ़ाने की इच्छा बढ़ी है। चार में से तीन कामकाजी पेशेवरों का मानना है कि अगर उन्होंने अपना कौशल (Skill) विकसित नहीं किया तो टेक्नोलॉजी (Technology) उनकी नौकरियों की जगह ले लेगी।
एडटेक कंपनी एमेरिटस की 'एमेरिटस ग्लोबल वर्कप्लेस स्किल्स स्टडी 2023' की रिपोर्ट के अनुसार 75 प्रतिशत भारतीयों को डर है कि जब तक वे कौशल नहीं बढ़ाएंगे तो टेक्नोलॉजी उनकी नौकरियों की जगह ले लेगी। इसमें कई उद्योग शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार वित्त और बीमा में (72 फीसदी), सॉफ्टवेयर और आईटी सेवाओं (80 फीसदी), स्वास्थ्य देखभाल (81 फीसदी), टेक्नोलॉजी इनोवेशन (79 फीसदी) और पेशेवर सेवाएं/परामर्श (78 फीसदी) लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि यदि उनकी कुशलता में सुधार नहीं हुआ तो टेक्नोलॉजी उनकी नौकरियां ले लेगी।
अधिकांश भारतीयों ने टेक्नोलॉजी में कमी का अनुभव करते हुए तेजी से बदलते नौकरी बाजार में बने रहने के दबाव को लेकर चिंता व्यक्त की। इसके अलावा, अध्ययन से पता चला कि पेशेवरों के लिए सबसे अधिक मांग वाले क्षेत्रों में डिजिटल मार्केटिंग, डेटा एनालिटिक्स, वित्त, प्रबंधन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि सॉफ्टवेयर और आईटी सेवाओं में काम करने वाले भारतीय तकनीकी विशेषज्ञों को अपनी नौकरी की सुरक्षा बढ़ाने और अपने कौशल को बेहतर करने की आवश्यकता है।
कौशल के अवसरों पर 80 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि अगर उन्हें कार्यस्थल पर ही कौशल बढ़ाने के मौका मिले तो वह कंपनी के प्रति अधिक वफादार होंगे। भारत और एपीएसी, एमेरिटस के सीईओ मोहन कन्नेगल ने कहा, हम विभिन्न क्षेत्रों के भारतीय पेशेवरों से सीखते हैं कि बदलती टेक्नोलॉजी के कारण नौकरी विस्थापन का डर एक बढ़ती चिंता है।
83 प्रतिशत भारतीय एक प्रतिष्ठित माध्यम से कौशल बढ़ाने के इच्छुक हैं यह रिपोर्ट भारत, अमरीका, चीन, ब्रिटेन, ब्राजील, मैक्सिको और यूएई सहित 18 देशों में 21 से 65 वर्ष की आयु के 6,600 पेशेवरों के सर्वेक्षण पर आधारित है, ताकि यह समझा जा सके कि वैश्विक कार्यबल इससे निपटने के लिए ऑनलाइन शिक्षा का लाभ कैसे उठा रहा है। यह अध्ययन बड़े और मझोले शहरों के 1,720 भारतीयों पर किया गया है, जिसमें 21 से 65 वर्ष तक आयु के लोग शामिल थे।
-आईएएनएस
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